
india is home to one of the largest police force in the world. Police Forces have to operate 24 hours a day, For every incident that occurs, a police officer is required to file a report.
update-04/04/2021 Time-6;00 PM
\गुजरात के सूरत शहर में सड़क पर एक लुटेरी गैंग को पकड़ने के लिए एक पुलिस जवान गणेश चौधरी ने अपनी जान दांव पर लगा दी। पुलिस की नाकेबंदी देखकर जब आरोपी भागने लगे तो गणेश उनकी चलती पिकअप पर कूद गया, लेकिन आरोपियों ने पिकअप नहीं रोकी। इस तरह जवान वैन के बोनट पर करीब 25 किमी तक लटका रहा। इसके बाद वाहन चालक ने तेजी से ब्रेक लगाया तो गणेश चौधरी वहीं नीचे गिर गए और आरोपी वहां से फरार हो गए।
नाकेबंदी कर रोकने को कोशिश की
नवसारी शहर पुलिस की ओर से त्योहार को लेकर सघन पेट्रोलिंग अभियान चलाया जा रहा था। नवसारी टाउन पुलिस के जवान रेलवे स्टेशन क्षेत्र में ड्यूटी पर उपस्थित थे। उस दौरान महिंद्रा पिकअप नंबर gj5 वाई-वाई 1480 नंबर की गाड़ी पर शक होने के कारण पुलिस के जवानों ने उसे रोककर गाड़ी के कागज मांगे। लेकिन गाड़ी चलाने वाले ने गाड़ी भगा दी। इस दौरान पुलिस कांस्टेबल किशन घोरिया और गणेश चौधरी ने रास्ते पर नाकेबंदी कर रखी थी।
चलती पिकअप पर ही कूद गया जवान
नाकाबंदी देखकर वाहन चालक ने गति और तेज कर दी। यह देखते हुए लोक रक्षक दल का जवान गणेश चौधरी गाड़ी के ऊपर बोनट पर कूद गया और वाहन चालक को रोकने की कोशिश की। लेकिन, चालक ने गाड़ी नहीं रोकी और बोनट पर चढ़े पुलिस जवान को उसी स्थिति में पलसाना तक यानी की करीब 25 किमी तक लेकर गया। आगे जाकर बलेश्वर गांव के पास वाहन चालक ने तेजी से ब्रेक लगाया तो गणेश चौधरी वहीं नीचे गिर गए और वाहन चालक वहां से फरार हो गए। इस दौरान पुलिस की एक पीसीआर वैन इसका पीछा कर रही थी। गणेश चौधरी को जख्मी हालत में देखकर पुलिस की वैन रुकी और गणेश चौधरी को अस्पताल ले जाया गया। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज कर जांच शुरू की है।
लुटेरी गैंग के गुर्गे थे पिकअप में सवार
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पिकअप में शीकलीगर गैंग के गुर्गे सवार थे, जो अब तक कई लूट की वारदात को अंजाम दे चुके हैं। पिकअप में बैठे दो लोगों को पुलिस जवान पहचान गए थे और इसीलिए उन्हें पकड़ने की कोशिश की गई। पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
चब्बेवाल पुलिस साइबर तकनीक की मदद से करीब डेढ़ घंटे में 6 किमी दूर पर्स छीनकर भागे बाइक लुटेरे तक पहुंची और पर्स बरामद कर लिया। हालांकि लुटेरा फरार हो गया। जानकारी के अनुसार होशियारपुर-चंडीगढ़ रोड पर मंगलवार देर शाम एक बाइक लुटेरे ने एक्टिवा से जा रही मां-बेटी सतविंदर कौर और गुरजीत कौर निवासी गांव ताजेवाल को धक्का देकर गिरा दिया और पर्स छीन फरार हो गया। पर्स में पासपोर्ट, विदेशी कागजात समेत बैंक की कॉपियां, दो एटीएम कार्ड, दो महंगे मोबाइल समेत जरूरी कागज थे।
इसके बाद दोनों मां-बेटी थाना चब्बेवाल पहुंचीं और सारी बात बताई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उसी समय दोनों मां-बेटी के फोन ट्रैक पर लगा दिए। लोकेशन ट्रेस होते ही एएसआई सुरजीत सिंह रवाना हो गए। गांव छोटा जटपुर के पास उक्त युवक सड़क किनारे अपनी बाइक पर बैठकर कोई नशा ले रहा था। पुलिस पार्टी को देखकर वह पर्स खेत में फेंककर फरार हो गया। पुलिस ने मां-बेटी काे पर्स लौटा दिया।
मां-बेटी ने की चब्बेवाल पुलिस की प्रशंसा
गांव ताजेवाल की सतविंदर कौर और गुरजीत कौर ने बताया कि वह दोनों होशियारपुर से गांव जा रही थीं, तभी सारा वाक्या पेश आया। सतविंदर कौर ने थाना चब्बेवाल पुलिस की कार्रवाई की प्रशंसा कर धन्यवाद किया। एएसआई सुरजीत सिंह ने बताया कि पुलिस ने सतविंदर कौर के बयानों पर अज्ञात युवक खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
नैनीताल से बीवी संग अफीम की तस्करी करने वाले ऑटो इलेक्ट्रीशियन, उसकी पत्नी और बड़े भाई को पुलिस ने पकड़ा है। इनसे 2 किलो अफीम मिली है। पुलिस गुरदासपुर के गांव घोड़ावाहा के रहने वाले ऑटो मैकेनिक सुखबीर सिंह, उसकी पत्नी सुखविंदर कौर और बड़े भाई जसवीर सिंह को मंगलवार को अदालत में पेश करके रिमांड पर लेगी। इनका कोरोना टेस्ट भी करवाया जाएगा। थाना भोगपुर में इनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा-18 के तहत केस दर्ज किया गया है। डीएसपी दविंदर कुमार अत्री ने बताया कि आरोपियों को पठानकोट रोड पर जालंधर की तरफ आते गिरफ्तार किया गया है।
एक साल से तस्करी- किलो के पीछे कमाते थे 40 हजार रुपए
प्राथमिक पूछताछ में यह बात सामने आई कि सुखबीर सिंह नैनीताल में किराये के मकान पर रह रहा है अौर ऑटो मैकेनिक है। करीब एक साल पहले उसके तार वहां के एक अफीम तस्कर से जुड़े गए थे। वह उनसे 80 हजार रुपए किलो के हिसाब से अफीम खरीदता था और 1.20 लाख रुपए में आगे बेच देता था। सुखबीर के इस काम में उसकी मदद पत्नी और बड़ा भाई जसवीर करते थे।
जांच में यह बात सामने आई कि पति-पत्नी हर महीने 2 किलो अफीम लेकर आते थे। वे बस में ही आते थे और जसवीर उन्हें लेने के लिए जालंधर आ जाता था। पुलिस उन पर शक न करे, इसलिए गुरदासपुर आने से पहले शॉपिंग कर सामान गाड़ी में रख लेते थे। सोमवार को भी सुखबीर अपनी पत्नी संग बस में 2 किलो अफीम लेकर आया था। वह बस अड्डे पर उतर गए थे।
यहां से जसवीर उन्हें गाड़ी में लेने अा गया था। जसवीर ने माना कि वह पहले ट्रक चलाता था। फिर खेती शुरू कर दी। जसवीर ने माना कि सुखबीर उसे अफीम लाकर देता था और वह आगे बेच देता था। पुलिस पता लगा रही है कि आरोपी किन लोगों को अफीम बेच रहे थे।
CLICK- https://forcetodaynews.blogspot.com/
CLICK-
भारतीय पुलिस सेवा एक नौकरी है जैसे कोई और नहीं। आपको लगातार अपने पैर की उंगलियों पर होना चाहिए, अपराधियों से लड़ने के लिए तैयार है और यदि आवश्यक हो, तो किसी भी क्षण अपने जीवन को छोड़ दें। ये असली सुपरहीरो हैं। यहां 3 बहादुर दिल हैं जिनके बारे में बात करने लायक है। जबकि उनमें से कुछ ने हमारे लिए लड़ते हुए अपनी जान दे दी, दूसरों ने देश को रहने के लिए एक बेहतर और सुरक्षित जगह बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी
यह कहानी बॉलीवुड के एक एक्शन फ्लिक से सही है! एक समय था जब पटना गुंडों के शहर के रूप में बदनाम था, लेकिन जब तक एसपी लांडे ने पदभार नहीं संभाला। यह वन-मैन सेना शायद चुलबुल पांडे के लिए प्रेरणा थी क्योंकि एक बार जब वह सत्ता में आए, तो शहर में अपराध दर में सुधार हुआ। एसपी के रूप में केवल 10 महीनों में, उन्होंने न केवल दवा माफिया, अवैध शराब की दुकानों पर अंकुश लगाया और सख्त यातायात कानून लागू किए, बल्कि अपनी भक्ति और निस्वार्थ सेवा के साथ दिल जीत लिया। इससे ज्यादा और क्या? वह महिलाओं के साथ कुल हिट थी और शहर की सभी लड़कियों के लिए एक बड़े भाई की तरह थी। उसने उन सभी को अपना मोबाइल नंबर दिया, ताकि वे जरूरत के समय में उसे सीधे फोन कर सकें। एक सच्चे नायक, लांडे!
मोहन चंद शर्मा---
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मोहन शर्मा ने एक अविश्वसनीय 35 आतंकवादियों को मार डाला और एक अन्य 80 की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार था। लेकिन वह 2008 में बटला मुठभेड़ के दौरान टीम का नेतृत्व करने के लिए सबसे प्रसिद्ध है। 41 वर्षीय दुर्भाग्य से दिल्ली में एक भीषण बंदूक लड़ाई में गोली लगने से घायल हो गया। जिस तरह से उन्होंने अपने करियर में काम किया, उसी तरह उन्होंने भारी हथियारबंद आतंकवादियों को बेरहमी से तब तक मौत के घाट उतारा, जब तक कि उनका दम नहीं उड़ गया। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया क्योंकि दो संदिग्ध आतंकवादी मारे गए थे, और दो अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया था!
अजीत कुमार डोभाल
डोभाल को बहुत अच्छी तरह से भारत का शर्लक होम्स कहा जा सकता है। एक आईपीएस अधिकारी जो इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक बन गए, वे अब भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। 3 दशकों से अधिक के करियर में, उन्होंने कई मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा किया है और वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र पाने वाले पहले पुलिस अधिकारी भी बने, जो केवल सेना के लिए आरक्षित था।
वह 7 लंबे समय तक पाकिस्तान में एक अंडरकवर एजेंट था और देश को महत्वपूर्ण जानकारी देता था। इतना ही नहीं, 1980 के दशक के दौरान, जब अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर खालिस्तानी आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया था, तो डोभाल ने खुद को आईएसआई एजेंट के रूप में प्रच्छन्न किया था, जो 'सरकार के खिलाफ लड़ाई में आतंकवादियों की मदद करने' के लिए आए थे, और सेना के लिए महत्वपूर्ण जानकारी से गुज़रे ।
10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में कहर बरपाया था. इसमें से एक आतंकी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ा गया. उसे पकड़ने में अहम भूमिका महाराष्ट्र पुलिस के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबाले ने निभाई थी.
उस घटना से महज पांच दिन पहले पुलिस इंस्पेक्टर संजय गोविलकर की पोस्टिंग मुंबई के डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में हुई थी. उन्होंने उस खौफनाक रात को याद करते हुए 'द वीक' मैगजीन को बताया, ''उस रात करीब साढ़े बारह बजे जब हमने देखा कि एक कार ने डिवाइडर को टक्कर मार दी. हमने दो पुलिस टीमें बनाईं और उस तरफ बढ़े. एक टीम में मैं, तुकाराम ओंबाले और अन्य साथी थे, दूसरी टीम में भास्कर कदम, हेमंत बौधंकर और अन्य लोग थे. भास्कर कदम ने बेहतरीन शॉट लगाया. गोली सीधे ड्राइविंग सीट पर बैठे एक आतंकी को लगी और वह ढेर हो गया.''
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''मैं और तुकाराम ओंबाले, कसाब की तरफ लपके. कसाब ने अपने पैरों के पीछे AK-47 छिपा रखी थी. उसने तत्काल उसे निकालते हुए फायरिंग शुरू कर दी. ओंबाले ने सामने से उसकी गोलियों को झेलते हुए उसे पकड़ लिया और तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि हम लोगों ने उसे पकड़ नहीं लिया. मैंने तुकाराम जैसी वीरता और साहस कभी नहीं देखा.'' तुकाराम ने कसाब की एके-47 रायफल की नली पकड़ ली थी. वह फायरिंग करता रहा लेकिन उन्होंने उसको नहीं छोड़ा.
संजय गोविलकर ने ये भी कहा कि साथी हेमंत तो कसाब को गोली मारने ही वाले थे कि अचानक बिजली की तरह दिमाग में विचार कौंधा और उनको ट्रिगर नहीं दबाने के लिए कहा. इस तरह कसाब को जिंदा पकड़ा गया. उसको चार साल बाद 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई. संजय गोविलकर (49) पुलिसकर्मियों के जीवन पर अब तक पांच किताबें लिख चुके हैं.
तुकाराम ओंबाले
महाबलेश्वर के रहने वाले तुकाराम ओंबाले को असाधारण साहस दिखाने के लिए मरणोपरांत अशोक च्रक से नवाजा गया. तुकाराम के परिवार में पत्नी और चार बेटियां-पवित्रा, वंदना, वैशाली और भारती हैं. उनकी शहादत के बाद परिवार ने यह कहते हुए किसी भी तरह की वित्तीय सहायता लेने से इनकार कर दिया कि उनकी पेंशन और जमा-पूंजी पर्याप्त है. उनकी एक बेटी वैशाली घर में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं. दूसरी बेटी भारती सेल्स टैक्स में क्लास वन ऑफिसर हैं. पवित्रा ब्यूटी सैलून चलाती हैं और वंदना होममेकर हैं.
वैशाली ने उस घटना को याद करते हुए 'द वीक' से कहा, ''मुझे याद है कि उस रात साढ़े बारह बजे के आस-पास कसाब से उनकी मुठभेड़ से चंद मिनट पहले मेरी उनसे बात हुई थी...उन्होंने उस वक्त कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है और हम लोगों को ऐहतियात बरतने की सलाह दी थी.'' वैशाली ने यह भी कहा कि वह बहुत बहादुर आदमी थे. उनके अंदर डर नाम की कोई चीज नहीं थी. वह हमेशा कहते थे कि हमेशा भयमुक्त रहो. बाहर निकलने से मत डरो. इस वजह से कभी घर में मत बैठो कि बाहर जाने से डर लगता है.
वैशाली ने बताया कि यदि वह आज जिंदा होते तो रिटायर होने के बाद महाबलेश्वर में कमजोर तबके के बच्चों को शिक्षा देते. हम शहीद तुकाराम ओंबाले चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से उनके सपने को पूरा करना चाहते हैं. परिवार द्वारा किसी भी तरह की वित्तीय मदद से इनकार के मुद्दे पर बोलते हुए वैशाली ने कहा कि ये रकम उनको दी जानी चाहिए जिनको इसकी वास्तव में जरूरत है
पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने उस हमले को अंजाम दिया था. उनमें से एक अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ा गया था. बाद में उसको फांसी दे दी गई. लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अजमल आमिर कसाब से जिस सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रमेश महाले ने सबसे पहले पूछताछ की थी, उनसे अपने अंतिम समय में कसाब ने कहा था, ''आप जीत गए, मैं हार गया.'' भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत 80 मामलों में दोषी ठहराए गए कसाब ने अपनी फांसी से एक दिन पहले यह बात रमेश महाले से की थी.
जब कसाब पकड़ा गया...
26 नवंबर, 2008 को जब कसाब पकड़ा गया तो सबसे पहले जिन पुलिस ऑफिसर्स ने कसाब से पूछताछ की थी, उनमें महाले भी शामिल थे. महाले 26/11 आतंकी हमले के मुख्य जांच अधिकारी थे और 2008 में मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट 1 के मुखिया थे. कसाब क्राइम ब्रांच की कस्टडी में 81 दिन रहा था. उसके बाद उसे आर्थर रोड जेल में शिफ्ट किया गया था.
india is home to one of the largest police force in the world. Police Forces have to operate 24 hours a day, For every incident that occurs, a police officer is required to file a report.