इशरत जहां एनकाउंटर
2004 में हुए एनकाउंटर में गुजरात पुलिस ने इशरत जहां उसके दोस्त प्रनेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख और दो पाकिस्तानी नागरिकों अमजदाली राना और जीशान जोहर को आतंकी बताते हुए ढेर कर दिया था। इशरत जहां केस में पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, पूर्व एसपी एनके अमीन, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया गया है. पूर्व डीजीपी पीपीपी पांडेय को बीते साल सीबीआई अदालत ने इस मामले में आरोप मुक्त कर दिया गया था।
तुलसी प्रजापति एनकांउटर
तुलसी प्रजापति सोहराबुद्दीन शेख का साथी और शार्प शूटर था। पुलिस ने तुलसी को हरने पंड्या की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। 2007 में अहमदाबाद पेशी पर ले जाते समय तुलसी को उसके साथी छुड़ाकर ले जाने आए थे। इसी दौरान हुई मुठभेड़ में तुलसी मारा गया था। इस मामले की आंच पुलिस के साथ भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, उद्यमी विमल पाटनी, गुजरात के राजकुमार पाण्डेर पर भी आई थी।
वारंगल एनकाउंटर
हैदराबाद रेप और मर्डर केस के आरोपियों का मार गिराने वाले पुलिस कमिश्नर वीजे सज्जनार पहले भी एक एनकाउंटर से चर्चा में आए थे। 2008 में सज्जनार वारंगल के एसपी थे। तब दिसंबर 2008 में एक महिला पर एसिड अटैक हुआ था। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस जब आरोपियों को घटनास्थल पर लेकर जा रही थी तो वह भागने की कोशिश करने लगे। पुलिस ने मुठभेड़ में आरोपियों को मार गिराया था।
बटला हाउस एनकाउंटर
13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में हुए सीरियल बम ब्लास्ट से पूरा देश दहल गया था। दिल्ली पुलिस ने जांच के बाद बम ब्लास्ट के लिए आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन को दोषी माना था। 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के नेतृत्व में बटला हाउस पहुंचे। वहां दोनों ओर से फायरिंग हुई। इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को दो गोलियां लगी थी। दो आरोपी आरिज और शहजाद दूसरे गेट से निकल कर भागने में कामयाब रहे। गोलियां लगने से आतिफ अमीन और साजिद की मौत हो गई। पुलिस ने दो आतंकियों को भागते समय गिरफ्तार कर लिया। बाटला हाउस पर इसी साल जॉन अब्राहम ने फिल्म बनाई थी, जो सुपरहिट हुई थी।
वडाला एनकाउंटर
1982 के इस मामले में मुंबई पुलिस (तब बॉम्बे पुलिस) ने गैंगस्टर मान्या सुर्वे का एनकाउंटर किया था। मान्या सुर्वे की उस समय बॉम्बे में बहुत दशहत थी। वह पुलिस के लिए काफी मुसीबत बन गया था। 11 जनवरी 1982 को पुलिस ने वडाला इलाके में उसे घेर लिया था। पुलिस के अनुसार मान्या सुर्वे को आत्मसमर्पण करने का मौका भी दिया गया, लेकिन उसने फायरिंग शुरू कर दी। सुर्वे के सीने और कंधे में 5 गोलियां लगी थी और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस घटना पर शूटआउट एट वडाला फिल्म बनी थी, जिसमें मान्या सुर्वे का किरदार विवेक ओबरॉय ने निभाया था।
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