Friday, July 31, 2020
Tuesday, July 28, 2020
26/11: कसाब AK-47 रायफल से गोलियां बरसा रहा था..brave-सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबाले
10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में कहर बरपाया था. इसमें से एक आतंकी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ा गया. उसे पकड़ने में अहम भूमिका महाराष्ट्र पुलिस के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबाले ने निभाई थी.
उस घटना से महज पांच दिन पहले पुलिस इंस्पेक्टर संजय गोविलकर की पोस्टिंग मुंबई के डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में हुई थी. उन्होंने उस खौफनाक रात को याद करते हुए 'द वीक' मैगजीन को बताया, ''उस रात करीब साढ़े बारह बजे जब हमने देखा कि एक कार ने डिवाइडर को टक्कर मार दी. हमने दो पुलिस टीमें बनाईं और उस तरफ बढ़े. एक टीम में मैं, तुकाराम ओंबाले और अन्य साथी थे, दूसरी टीम में भास्कर कदम, हेमंत बौधंकर और अन्य लोग थे. भास्कर कदम ने बेहतरीन शॉट लगाया. गोली सीधे ड्राइविंग सीट पर बैठे एक आतंकी को लगी और वह ढेर हो गया.''
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''मैं और तुकाराम ओंबाले, कसाब की तरफ लपके. कसाब ने अपने पैरों के पीछे AK-47 छिपा रखी थी. उसने तत्काल उसे निकालते हुए फायरिंग शुरू कर दी. ओंबाले ने सामने से उसकी गोलियों को झेलते हुए उसे पकड़ लिया और तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि हम लोगों ने उसे पकड़ नहीं लिया. मैंने तुकाराम जैसी वीरता और साहस कभी नहीं देखा.'' तुकाराम ने कसाब की एके-47 रायफल की नली पकड़ ली थी. वह फायरिंग करता रहा लेकिन उन्होंने उसको नहीं छोड़ा.
संजय गोविलकर ने ये भी कहा कि साथी हेमंत तो कसाब को गोली मारने ही वाले थे कि अचानक बिजली की तरह दिमाग में विचार कौंधा और उनको ट्रिगर नहीं दबाने के लिए कहा. इस तरह कसाब को जिंदा पकड़ा गया. उसको चार साल बाद 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई. संजय गोविलकर (49) पुलिसकर्मियों के जीवन पर अब तक पांच किताबें लिख चुके हैं.
तुकाराम ओंबाले
महाबलेश्वर के रहने वाले तुकाराम ओंबाले को असाधारण साहस दिखाने के लिए मरणोपरांत अशोक च्रक से नवाजा गया. तुकाराम के परिवार में पत्नी और चार बेटियां-पवित्रा, वंदना, वैशाली और भारती हैं. उनकी शहादत के बाद परिवार ने यह कहते हुए किसी भी तरह की वित्तीय सहायता लेने से इनकार कर दिया कि उनकी पेंशन और जमा-पूंजी पर्याप्त है. उनकी एक बेटी वैशाली घर में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं. दूसरी बेटी भारती सेल्स टैक्स में क्लास वन ऑफिसर हैं. पवित्रा ब्यूटी सैलून चलाती हैं और वंदना होममेकर हैं.
वैशाली ने उस घटना को याद करते हुए 'द वीक' से कहा, ''मुझे याद है कि उस रात साढ़े बारह बजे के आस-पास कसाब से उनकी मुठभेड़ से चंद मिनट पहले मेरी उनसे बात हुई थी...उन्होंने उस वक्त कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है और हम लोगों को ऐहतियात बरतने की सलाह दी थी.'' वैशाली ने यह भी कहा कि वह बहुत बहादुर आदमी थे. उनके अंदर डर नाम की कोई चीज नहीं थी. वह हमेशा कहते थे कि हमेशा भयमुक्त रहो. बाहर निकलने से मत डरो. इस वजह से कभी घर में मत बैठो कि बाहर जाने से डर लगता है.
वैशाली ने बताया कि यदि वह आज जिंदा होते तो रिटायर होने के बाद महाबलेश्वर में कमजोर तबके के बच्चों को शिक्षा देते. हम शहीद तुकाराम ओंबाले चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से उनके सपने को पूरा करना चाहते हैं. परिवार द्वारा किसी भी तरह की वित्तीय मदद से इनकार के मुद्दे पर बोलते हुए वैशाली ने कहा कि ये रकम उनको दी जानी चाहिए जिनको इसकी वास्तव में जरूरत है
अजमल कसाब के अंतिम अल्फाज थे- 'आप जीत गए, मैं हार गया'
पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने उस हमले को अंजाम दिया था. उनमें से एक अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ा गया था. बाद में उसको फांसी दे दी गई. लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अजमल आमिर कसाब से जिस सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रमेश महाले ने सबसे पहले पूछताछ की थी, उनसे अपने अंतिम समय में कसाब ने कहा था, ''आप जीत गए, मैं हार गया.'' भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत 80 मामलों में दोषी ठहराए गए कसाब ने अपनी फांसी से एक दिन पहले यह बात रमेश महाले से की थी.
जब कसाब पकड़ा गया...
26 नवंबर, 2008 को जब कसाब पकड़ा गया तो सबसे पहले जिन पुलिस ऑफिसर्स ने कसाब से पूछताछ की थी, उनमें महाले भी शामिल थे. महाले 26/11 आतंकी हमले के मुख्य जांच अधिकारी थे और 2008 में मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट 1 के मुखिया थे. कसाब क्राइम ब्रांच की कस्टडी में 81 दिन रहा था. उसके बाद उसे आर्थर रोड जेल में शिफ्ट किया गया था.
Wednesday, July 22, 2020
Friday, July 17, 2020
Karachi Stock Exchange Attack: Terrorists attack Pakistan ...
विकास पर रखा 5 लाख का इनाम किसे?
विकास दुबे को गिरफ्तारी पर रखा गया 5 लाख का इनाम किसे दिया जाए? यूपी पुलिस ने मध्य प्रदेश पुलिस को चिट्ठी लिखकर यह सवाल पूछा है। दरअसल, कानपुर शूटआउट में 8 पुलिसवालों की हत्या का आरोपी गैंगस्टर विकास उज्जैन के महाकाल मंदिर में गिरफ्तार किया गया था। इसी वजह से यूपी पुलिस ने एमपी पुलिस से सवाल पूछा है।
यूपी एसटीएफ को सौंपे जाने तक का ब्योरा देगी एमपी पुलिस
कुछ लोग सामने आए थे, जिनकी निशानदेही पर विकास को गिरफ्तार किया गया था। अब उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह ने मामला सुलझाने के लिए 3 मेंबर वाली कमेटी गठित की है। यूपी पुलिस जानना चाहती है कि किसकी निशानदेही पर गिरफ्तारी हुई, इसमें कौन पुलिसवाले शामिल थे। उज्जैन पुलिस की कमेटी इस पर 3 दिन में रिपोर्ट देगी कि विकास को पहले किसने देखा और उसे किसने पकड़ा। रिपोर्ट में विकास को यूपी एसटीएफ को सौंपे जाने तक का ब्योरा होगा।
9 जुलाई को हुआ था गिरफ्तार
गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी 9 जुलाई को सुबह उज्जैन के महाकाल मंदिर से हुई थी। गिरफ्तारी के बाद एसपी मनोज सिंह ने कहा था कि वह राजस्थान के झालावाड़ से सुबह से 3.58 बजे उज्जैन के देवासगेट बस स्टैंड पर पहुंचा था। वहां से ऑटो में बैठ कर रामघाट पर शिप्रा नदी में स्नान के लिए गया था। उसके बाद वह 7.45 बजे महाकाल मंदिर में पहुंचा था। यहां उसे पहली बार फूल की दुकान चलाने वाले ने देखा था। फिर मंदिर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे गिरफ्तार किया था।
आठ पुलिसवालों का हत्यारा उज्जैन में पकड़ा गया था
कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसवालों की शूटआउट में हत्या के बाद फरार हुआ विकास दुबे गुरुवार को नाटकीय तरीके से पुलिस की गिरफ्त में आ गया। एक दिन पहले ही यह खबरें आई थीं कि वह फरीदाबाद के एक होटल में कमरा लेकर रुका था। इसके सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे, लेकिन इसके बाद गुरुवार सुबह वह उज्जैन पहुंचा और सरेंडर के इरादे से ही वह महाकाल मंदिर में गया। उज्जैन पुलिस के सूत्रों ने भास्कर को बताया कि विकास दुबे यूपी पुलिस के एनकाउंटर से बचने के लिए उज्जैन पहुंचा था।
Wednesday, July 8, 2020
कानपुर शूटआउट मामले में बड़ी कार्रवाई गिरफ्तार
कानपुर शूटआउट मामले में बड़ी कार्रवाई / चौबेपुर थाने के एसओ और दरोगा गिरफ्तार, विकास को इन्हीं दोनों ने रेड की जानकारी दी थी और एनकाउंटर के वक्त भाग गए थे-
कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसवालों की हत्या के मामले में बुधवार को पुलिस महकमे ने बड़ी कार्रवाई की। जिस थाने में ये गांव आता है, उस चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी और दरोगा केके शर्मा को भी गिरफ्तार किया गया है। कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि तिवारी और शर्मा दोनों ही मुठभेड़ के वक्त बिकरु गांव में मौजूद थे। लेकिन, जैसे ही एनकाउंटर शुरू हुआ, दोनों भाग गए थे।
एसएसपी दिनेश प्रभु ने बताया कि जांच में सामने आया है कि विनय तिवारी और केके शर्मा ने विकास दुबे को रेड की जानकारी दी थी।
पूरा चौबेपुर थाना लाइन अटैच
शहीद डीएसपी देंवेंद्र ने एसओ तिवारी पर आरोप लगाया था कि वो गैंगस्टर विकास तिवारी का बचाव करते हैं। पुलिस जांच में यह भी सामने आया था कि मुठभेड़ से पहले विकास ने केके शर्मा को फोनकर धमकाया था और पुलिस टीम को गांव में आने से रोकने को कहा था। इससे पहले चौबेपुर थाने के सभी 68 कर्मचारियों को लाइन अटैच कर दिया गया था।
जांच कर रहे डीआईजी का भी तबादला
इससे पहले मंगलवार को हत्याकांड की जांच कर रहे एसटीएफ के डीआईजी अनंत देव त्रिपाठी को सरकार ने हटाकर पीएसी भेज दिया गया था। हत्याकांड में शहीद हुए डीएसपी देवेंद्र का एक खत सामने आया था। यह खत तत्कालीन कानपुर एसएसपी अनंत देव को लिखा गया था। इसमें कहा गया था कि चौबेपुर के थानेदार विनय तिवारी, विकास दुबे को बचाने का काम कर रहे हैं और इन पर कार्रवाई की जाए।
विकास की तलाश में 3 राज्यों में छापे
विकास की तलाश में बुधवार को राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में छापा मारा गया। सूत्रों के मुताबिक विकास और उसका साथी प्रभात फरीदाबाद के सेक्टर-87 में रिश्तेदार श्रवण के घर रुके थे। पहले उन्होंने होटल में रूम बुक करवाने की कोशिश की, लेकिन आईडी में फोटो क्लियर नहीं होने की वजह से बुकिंग नहीं कर पाए।
सूचना मिलने पर पुलिस ने छापा मार, पर विकास पहले ही भाग गया। पुलिस ने श्रवण, उसके बेटों अंकुर और प्रभात को गिरफ्तार कर लिया है। इनके पास 4 पिस्टल मिली हैं, इनमें से 2 यूपी पुलिस की हैं।
Friday, July 3, 2020
LIVE ENCOUNTER: गाजियाबाद पुलिस-Jan 14, 2016
Friday, May 29, 2020
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट REPORT FORCE TODAY
Tuesday, May 26, 2020
कैसे पुलिस ने एनकाउंटर में चारों आरोपियों को मार गिराया? FORCE TODAY REPORT
आरोपी की मां ने ये भी कहा कि वो उस परिवार के दर्द को समझ सकती है. उन्होंने कहा, 'मुझे भी एक बेटी है और मैं उस परिवार के दर्द को समझ सकती हूं कि उस परिवार के साथ इस वक्त क्या गुज़र रही होगी. अगर मैं अपने बेटे का बचाव करूंगी तो जीवन भर लोग मुझसे घृणा करेंगे.' TWITTER- Hyderabad: Senior Police officials arrive at the site of the encounter. All four accused in the rape and murder of woman veterinarian in Telangana were killed in an encounter with the police when the accused tried to escape while being taken to the crime spot
Monday, May 25, 2020
देश के 5 चर्चित एनकाउंटर, REPORT FORCE TODAY
इशरत जहां एनकाउंटर
2004 में हुए एनकाउंटर में गुजरात पुलिस ने इशरत जहां उसके दोस्त प्रनेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख और दो पाकिस्तानी नागरिकों अमजदाली राना और जीशान जोहर को आतंकी बताते हुए ढेर कर दिया था। इशरत जहां केस में पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, पूर्व एसपी एनके अमीन, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया गया है. पूर्व डीजीपी पीपीपी पांडेय को बीते साल सीबीआई अदालत ने इस मामले में आरोप मुक्त कर दिया गया था।
तुलसी प्रजापति एनकांउटर
तुलसी प्रजापति सोहराबुद्दीन शेख का साथी और शार्प शूटर था। पुलिस ने तुलसी को हरने पंड्या की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। 2007 में अहमदाबाद पेशी पर ले जाते समय तुलसी को उसके साथी छुड़ाकर ले जाने आए थे। इसी दौरान हुई मुठभेड़ में तुलसी मारा गया था। इस मामले की आंच पुलिस के साथ भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, उद्यमी विमल पाटनी, गुजरात के राजकुमार पाण्डेर पर भी आई थी।
वारंगल एनकाउंटर
हैदराबाद रेप और मर्डर केस के आरोपियों का मार गिराने वाले पुलिस कमिश्नर वीजे सज्जनार पहले भी एक एनकाउंटर से चर्चा में आए थे। 2008 में सज्जनार वारंगल के एसपी थे। तब दिसंबर 2008 में एक महिला पर एसिड अटैक हुआ था। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस जब आरोपियों को घटनास्थल पर लेकर जा रही थी तो वह भागने की कोशिश करने लगे। पुलिस ने मुठभेड़ में आरोपियों को मार गिराया था।
बटला हाउस एनकाउंटर
13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में हुए सीरियल बम ब्लास्ट से पूरा देश दहल गया था। दिल्ली पुलिस ने जांच के बाद बम ब्लास्ट के लिए आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन को दोषी माना था। 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के नेतृत्व में बटला हाउस पहुंचे। वहां दोनों ओर से फायरिंग हुई। इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को दो गोलियां लगी थी। दो आरोपी आरिज और शहजाद दूसरे गेट से निकल कर भागने में कामयाब रहे। गोलियां लगने से आतिफ अमीन और साजिद की मौत हो गई। पुलिस ने दो आतंकियों को भागते समय गिरफ्तार कर लिया। बाटला हाउस पर इसी साल जॉन अब्राहम ने फिल्म बनाई थी, जो सुपरहिट हुई थी।
वडाला एनकाउंटर
1982 के इस मामले में मुंबई पुलिस (तब बॉम्बे पुलिस) ने गैंगस्टर मान्या सुर्वे का एनकाउंटर किया था। मान्या सुर्वे की उस समय बॉम्बे में बहुत दशहत थी। वह पुलिस के लिए काफी मुसीबत बन गया था। 11 जनवरी 1982 को पुलिस ने वडाला इलाके में उसे घेर लिया था। पुलिस के अनुसार मान्या सुर्वे को आत्मसमर्पण करने का मौका भी दिया गया, लेकिन उसने फायरिंग शुरू कर दी। सुर्वे के सीने और कंधे में 5 गोलियां लगी थी और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस घटना पर शूटआउट एट वडाला फिल्म बनी थी, जिसमें मान्या सुर्वे का किरदार विवेक ओबरॉय ने निभाया था।